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लॉर्ड लैंसडाउन ने वाइसराय के रूप में कार्य किया

होयसल राजवंश – होयसल प्राचीन दक्षिण भारत का एक राजवंश था। इसने दसवीं से चौदहवीं शताब्दी तक राज किया। होयसल शासक पश्चिमी घाट के पर्वतीय क्षेत्र वाशिन्दे थे पर उस समय आस पास चल रहे आंतरिक संघर्ष का फायदा उठाकर उन्होने वर्तमान कर्नाटक के लगभग सम्पूर्ण भाग तथा तमिलनाडु के कावेरी नदी की उपजाऊ घाटी वाले हिस्से पर अपना अधिकार जमा लिया। इन्होंने ३१७ वर्ष राज किया। इनकी राजधानी पहले बेलूर website थी पर बाद में स्थानांतरित होकर हालेबिदु हो गई।

क्या आप जानते हैं भारतीय इतिहास की इन महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में?

दूसरे परियोजनाओं में विकिमीडिया कॉमन्स

) में सामंती अर्थव्यवस्था विद्यमान थी।

अन्य बौद्ध ग्रंथ : लंका के इतिवृत्त महावंस और दीपवंस भी भारत के इतिहास पर प्रकाश डालते हैं। महावंस, दीपवंस व महाबोधिवंस तथा महावस्तु मौर्यकाल के इतिहास की जानकारी देते हैं। दीपवंस की रचना चौथी और महावंस की पाँचवी शताब्दी ई. में हुई। मिलिंदपन्हो में यूनानी शासक मिनेंडर और बौद्ध मिक्षु नागसेन का वार्तालाप है। इसमें ईसा की पहली दो शताब्दियों के उत्तर-पश्चिमी भारत के जीवन की झलक मिलती है। दिव्यावदान में अनेक राजाओं की कथाएँ हैं जिनके अनेक अंश चौथी शताब्दी ई.

वेदांग : वैदिक काल के अंत में वेदों के अर्थ को अच्छी तरह समझने के लिए छः वेदांगों की रचना की गई। वेदों के छः अंग हैं- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंदशास्त्र और ज्योतिष। वैदिक स्वरों का शुद्ध उच्चारण करने के लिए शिक्षाशास्त्र का निर्माण हुआ। जिन सूत्रों में विधि और नियमों का प्रतिपादन किया गया है, वे कल्पसूत्र कहलाते हैं। कल्पसूत्रों के चार भाग हैं- श्रौतसूत्र, गृहसूत्र, धर्मसूत्र और शुल्वसूत्र। श्रौतसूत्रों में यज्ञ-संबंधी नियमों का उल्लेख है। गृहसूत्रों में मानव के लौकिक और पारलौकिक कर्त्तव्यों का विवेचन है। धर्मसूत्रों में धार्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक कर्त्तव्यों का उल्लेख है। यज्ञ, हवन-कुंड, वेदी आदि के निर्माण का उल्लेख शुल्वसूत्र में किया गया है। व्याकरण-ग्रंथों में पाणिनि की अष्टाध्यायी महत्त्वपूर्ण है। ई.

अभी तक विभिन्न कालों और राजाओं के हजारों अभिलेख प्राप्त हो चुके हैं जिनमें भारत का प्राचीनतम् प्राप्त अभिलेख प्राग्मौर्ययुगीन पिपरहवा कलश लेख (सिद्धार्थनगर) एवं बंगाल से प्राप्त महास्थान अभिलेख महत्त्वपूर्ण हैं। अपने यथार्थ रूप में अभिलेख सर्वप्रथम अशोक के शासनकाल के ही मिलते हैं। मौर्य सम्राट अशोक के इतिहास की संपूर्ण जानकारी उसके अभिलेखों से मिलती है। माना जाता है कि अशोक को अभिलेखों की प्रेरणा ईरान के शासक डेरियस से मिली थी।

प्राचीन भारत के अध्ययन के लिए पुरातात्त्विक सामग्री का विशेष महत्त्व है। पुरातात्त्विक र्स्राेत साहित्यिक स्रोतों की अपेक्षा अधिक प्रमाणिक और विश्वसनीय होते हैं क्योंकि इनमें किसी प्रकार के हेर-फेर की संभावना नहीं रहती है। पुरातात्त्विक स्रोतों के अंतर्गत मुख्यतः अभिलेख, सिक्के, स्मारक, भवन, मूर्तियाँ, चित्रकला, उत्खनित अवशेष आदि आते हैं।

श्री गुप्त द्वारा गुप्त साम्राज्य की स्थापना

सिंधु घाटी सभ्यता में चौड़ी सड़कें और सुविकसित निकास प्रणाली भी स्थित थे।

" मुस्टेरियन " सभ्यता के पश्चात " रेनडियन " सभ्यता का प्रादुर्भाव हुआ। इस समय लोगों में मानवोचित बुद्धि का विकाश होने लगा था। फिर इसके बाद वास्तविक सभ्यताएं आई जिसमें पहली सभ्यता नव पाषाण कालीन कही जाती है। इस सभ्यता के युग का मनुष्य अपने ही जैसा ही वास्तविक मनुष्य था। अतः यूथिल सम्यता से लेकर नव पाषाण सभ्यता तक का काल पाषाण- युग कहलाता है।

भारत की पहली मानी हुई सभ्यता है हड़प्पा सभ्यता। इसमें दो नामों का प्रयोग है: “सिंधु-सभ्यता” या “सिंधु…

अकाल और बाढ़ के समय बहुत से लोगो की मृत्यु भी हो गयी थी सरकार ने लोगो की पर्याप्त सहायता नही की थी। उस समय कोई भी भारतीय ब्रिटिशो को टैक्स देने में सक्षम नही था लेकिन फिर जो भारतीय टैक्स नही देता था उसे ब्रिटिश लोग जेल में डाल देते थे।

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